हर बार तुम से मिल के बिछड़ता रहा हूँ मैं तन्हाई में बैठकर दर्द को अपनी क़लम से लिखता हूँ, मेरे कमरे को सजाने कि तमन्ना है तुम्हें, जब तेरे होते हुए भी किसी और ने तसल्ली दी मुझे। आख़िर चांद भी अकेला रहता हैं सितारों के बीच। तिरी ख़ुशबू https://youtu.be/Lug0ffByUck