त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥ एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥ त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महं डेरा।। राधा चालीसा - जय वृषभान कुंवारी श्री श्यामा पूजन रामचंद्र जब कीन्हा https://shivchalisas.com