तेरी ऊँची अटारी प्यारी, म जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल। विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥ कमल नयन पूजन चहं सोई ॥ कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर । जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ कुमति निवार सुमति के सङ्गी ॥३॥ कञ्चन बरन बिराज सुबेसा https://hindubhajan.in/shiv-chalisa/